Quotes

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  1.  *आसमानी सितारों के बीच स्थित स्वर्ग का लालच समय की बर्बादी है। अपने आसपास के लोगों की बहुविध सहायता में मगन हो जाओ, स्वर्ग वहीं स्थापित हो जाएगा।*
  2. *जल्द से जल्द अधिक धनवान या बहुत बड़ा बनने की बेचैनी मनुष्य की खुशियों को और आयु को छोटा कर देती है।*
  3. *आमतौर पर दुनिया सत्य को मारती है, फिर पूजती है लेकिन सत्य पर चलती नहीं।*
  4. *अपने मन के पतित हो जाने से अधिक खतरा दुनिया में और किसी चीज से नहीं।*
  5. *कौन आपका अपना है, ये बाद में देखना, पहले ये देखो कि आप किसके किसके अपने हो।*
  6. *त्याग है पैमाना महानता का, दिव्यता का, जिसने जितना अधिक त्याग किया, वो उतना अधिक दिव्य और ऊंचा है, जिसका स्वभाव ही त्याग का है, वो निरंतर ऊंचा उठता जाता।*
  7. *जीते जी नर्क जाना हो तो किसी दूसरे की गलती पर अपने मन में लगातार क्रोध बनाए रखो, जितने लंबे समय तक आपके भीतर क्रोध है, असल में, उतने समय तक आप घोर नर्क में हैं।*
  8. *अपने द्वारा की गई नेकियों का हिसाब रखना महामूर्खता और एक प्रकार की स्वार्थपूर्ण धूर्तता है, दूसरों के उपकार को सदा स्मरण रखने वालों से ही परमात्मा प्रसन्न होते हैं।*
  9. *सच्चाई का इमानदारी से पालन करने वालों का हरेक दिन मंगलमय त्यौहार बन जाता है।*
  10. *सिनेमा हो, धर्म या राजनीति हो, भीड़ आकर्षित करने के लक्ष्य से लालची व्यक्ति ज्यादा दिखावा करता है। जो सच्चा, सिद्ध व ऊर्जावान है, उसे किसी अतिरिक्त प्रपंच की आवश्यकता नहीं।*
  11. *जिनकी रोजी रोटी भीड़ से जुड़ी है, उनके अंदर हमेशा एक भय बना रहता है, कि भीड़ भाग न जाए।*
  12. *वो लोग बौद्धिक रूप से अपंग है जो सोचते हैं कि परम सत्य रूपी कोहिनूर हीरा केवल उनके ही धर्मग्रंथ रूपी संदूक में बंद है, दूसरों के पास इसका छोटा टुकड़ा भी नहीं।ऐसों पर दया करो और इनसे सतर्क भी रहो।*
  13. *सामान्यतः किसी भी चाबी का आकार और वजन उसके ताले से लगभग पचास गुना कम होता है। भारी से भारी समस्या का समाधान भी ऐसा ही है।*
  14. *धर्म हो या राजनीति, शिक्षा हो या तकनीक, लोगों को नाटकीयता पसंद है। अगर आप मनोरंजन नहीं कर सकते तो चुपचाप चाय पीजिए और दुनियाभर का नाटक देखिए।*
  15. *कौन धर्म बड़ा या छोटा, इसपे बाद में जी भर के बहस कर लेना, लेकिन शराब गांजा सिगरेट तंबाकू आदि नशा छोड़ते ही बड़प्पन का अनुभव जरूर करने लगोगे।*
  16. *ईश्वर अदृश्य है तो क्या हुआ, मानव तो दिखाई देते हैं, मानवों का ही आदर – प्रेम और उनकी सेवा करने लगो, ईश्वरत्व प्रकट होने लगेगा।*
  17. *यह महत्वपूर्ण नहीं है कि वैज्ञानिक दृष्टि में ईश्वर है या नहीं।असंख्य दुख रोग निराशा हताशा जीवन द्वन्दों संघर्षों में तड़पते विश्व के बहुसंख्यक आम मानवों को किसी पराभौतिक शक्ति के सहारे की आशा ज्यादा महत्वपूर्ण है।*
  18. *देश दुनिया में घूमना बहुत जरूरी भी है, लेकिन कितना भी घूम लो, अपने भीतर नहीं घूमे तो सब अधूरा।*
  19. *बड़ों के सामने पूर्ण समर्पित और अनुशासित रहना तथा छोटों के सामने संयमित और स्नेहपूर्वक सतर्क रहना बुद्धिमानी है।*
  20. *किसी नेक आदमी को गलत बताते रहना गलत आदमी की लाचारी होती है। उनकी गलती पकड़ी न जाए, इसलिए वे ऐसा करते हैं।*
  21. *लेखक, कवि, कलाकार मननशील सृजनशील होते हैं, भगवान ऐसों के आसपास ही होते हैं, या यूँ कहें कि इन्होंने ही अनजाने ईश्वर को संसार में प्रचारित कर दिया।*
  22. भूख से तड़पते व्यक्ति के सामने ईश्वरीय बखान करना हिंसक अपराध है।
  23. सड़क पर बांयी ओर चलने जैसे यातायात के नियम अथवा बाजारों की साप्ताहिक बंदी जैसी बातें आध्यात्मिक नहीं बल्कि सामाजिक व भौगोलिक दृष्टिकोण से निर्धारित की जाती है। इसीलिए हर बात में न तो अध्यात्म घुसेड़िए और न ही हर अनाप-शनाप बातों का आध्यात्मिक संदर्भ खोजिए।
  24. केवल पैसा पैसा करने वाले धन के लालची लोगों को एक दिन उनका धन ही सर्प बनके डंस लेता है।
  25. धन अच्छा, धन का लालच बुरा है।
  26. पूजा किए बिना ही सीधे सिर्फ प्रसाद की चाहत रखने वाले  स्वार्थी व बेशर्म धर्मीगण बहुत होते हैं। कम से कम हम और आप तो थोड़ी शर्म रखें।
  27. बिना त्याग तपस्या साधना स्वाध्याय के दिखावे की महानता एक दिन अचानक प्राणघातक बन जाती है।
  28. अधिक लालच व स्वार्थी स्वभाव बड़े से बड़े घनिष्ठ संबंध को भी तोड़ डालता है। 
  29. जब दुनियाभर की सरकारें शराब, जुआ और वेश्यावृति नहीं रोक पातीं, तो ढोंग पाखंड आडंबर ढकोसला अंधविश्वास पूरी तरह कैसे रूक पाएगा?
  30. खुद को बदलो, खुदाई बदल जाएगी।
  31. विश्वास, विवेक और वैराग्य के बहुत ही लाभ हैं लेकिन भक्ति के बिना यह सब भी सूखे व निरस ही हैं।
  32. धर्म के भीतरी शत्रु हैं आडंबर, अंधविश्वास और पाखंड, कट्टरता, बाहरी शत्रु हैं प्रायोजित या लालच द्वारा या जबरन धर्मांतरण।
  33. भगवान, नियम और सत्य  – तीनों रस्सी की तरह एक दूसरे से जुड़े बुने हुए हैं। 
  34. साहित्य, संगीत, भजन कीर्तन अथवा शास्त्र पाठ मूंगफली के छिलके की तरह है और भगवान दाने की तरह। छिलके में ही दाना है, लेकिन लोग सिर्फ छिलके को ही चबाते रहते हैं और जीवन भर दाने का स्वाद नहीं चख पाते। 
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  1. शुतुरमुर्ग खतरा देखकर रेत में सिर छिपा लेता है, यह अंधी मूर्खता है। विश्वास ऐसा नहीं है।
  2. चाहे लाख अनसाइन्टिफिक या गंवारपन कह लीजिए लेकिन विश्वास में शक्ति तो है ही कमाल की।.
  3. मेरा न कोई गुढ़ ज्ञान है, न बहुत बड़ा परिचय। दुनियाभर के लोग धर्म को लेकर गुमराह न रहें, यही इच्छा है, बस! 
  4. भगवान की भक्ति करते रहना बहुत बड़ा ज्ञान है, और निरंतर भगवत् ज्ञान की खोज में रहना भी बड़ी भक्ति है।
  5. भगवान के इंसाफ की लाख दुहाई दे लो, सर्व सामर्थ्यवानों पर इसका बहुत कम असर पड़ता है। भगवान और उसके इंसाफ पर भरोसा केवल संघर्षरत लोगों के लिए संजीवनी बुटी है। 
  6. किसी किसी बीज में ही दोष रहता है, जिसके कारण उनका फल भी कड़वा होता है,,, लेकिन सामान्यतः बीज सही होने पर भी मिट्टी हवा पानी के संगत दोष से फल कड़वे हो जाते हैं। इसी प्रकार मनुष्य के दोष भी हैं। 
  7. कवियों, राजनीतिज्ञों और बुद्धिजीवियों में से अधिकतर अपनी जाति, पंथ या पेशे के पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं। 
  8. निष्पक्ष हो जाना है देवता हो जाना।
  9. बाहरी कर्मकांडों की बजाय उच्च आध्यात्मिक तत्त्वों में विचरने वालों का पूरी दुनिया में हमेशा ही विरोध हुआ है। 
  10. अंदर और बाहर दोनों में सामंजस्य बनाए रखें। 
  11. अच्छे भाषण और ग्रन्थों का अपना महत्व जरूर है लेकिन-
  12. दुसरों की भलाई के लिए त्याग और बलिदान का मुकाबला हजारों भाषण और लाखों ग्रन्थ मिलकर भी नहीं कर सकते।
  13. चाहे आज मरो या सौ साल बाद, सत्य की राह पर हो तो बेफिक्र रहो। झूठ, चिन्ता और डर का जीवन भी किसी मृत्यु से कम नहीं। 
  14. चाहे कितना भी बड़ा घाव हुआ हो, डॉक्टर के यहाँ जाकर खुशी खुशी चीरा कौन लगवाता है, थोड़ा-बहुत ना नुकुर तो होती ही है।
  15. ठीक ऐसा ही किसी कुप्रथा या हानिकारक मान्यता के उन्मूलन के समय भी होता है।
  16. ढीठाई प्यार से नहीं सुधरती बल्कि दंड के भय से अनुशासित रहती है। 
  17. मेरे लिए एक बड़ी राहत की बात यही है कि पाखंड में लिप्त पाखंडी भी पाखंड के पक्ष में खुलकर नहीं बोलते। 
  18. जब भी मरने का मन हो, सच बोलना शुरू कर दो। 
  19. जिस प्रकार ज्वालामुखी के फटने से वहाँ की जमीन भयानक आग के गर्त में समा जाती है, वैसे ही पराई स्त्री या पराये पुरूष के आकर्षण का विचारमात्र भी मानव को भयानक नर्क में धकेल कर भस्म कर देता है।
  20. कहने के लिए कैंसर एक लाइलाज बीमारी है, लेकिन मन इससे भी खतरनाक बड़ी बड़ी बीमारियों का अड्डा है।
 
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