स्वामी स्वर्गानन्द
सत्यसाधक संत गुरूदेव स्वामी श्री स्वर्गानन्द जी महाराज
संस्थापक- सत् समाज सदमार्गी अखाड़ा (पंजीकृत- ई 2138)
सदमार्ग पर चलें, सदमार्गी बनें
ABOUT SWAMI SWARGANAND
सत्यसाधक संत गुरूदेव स्वामी श्री स्वर्गानन्द जी महाराज का जन्म 31 जनवरी 1975 को बिहार राज्य के सीवान जिले के लेरूऑ नामक ग्राम में कान्यकुब्ज ब्राह्मण कुल में हुआ। इनके पिता का नाम श्री ललनजी उपाध्याय और माता का नाम श्रीमति श्रीपति देवी है। स्वामी जी के बचपन का नाम राजेश था, बाद में माता पिता ने स्कूल में नामांकन के समय इनका नाम विपिन कुमार उपाध्याय रखा। जिले में ही बारहवीं तक की शिक्षा के बाद इग्नू, दिल्ली से स्नातक प्रथम वर्ष की परीक्षा उत्तीर्ण किए।
जिज्ञासु प्रवृति वाले स्वर्गानन्द जी के जीवन में नया बदलाव उनकी नानी सफेदा देवी के निधन के बाद बाल्यकाल में ही आ गया जब वे सातवीं कक्षा में थे। जीवन मृत्यु के प्रश्नों ने उन्हें अंदर से झकझोर दिया था। अपने प्रश्नों का उत्तर पाने के लिए कभी श्मशान में जाकर लेटते तो कभी गाँव के अति बुजुर्ग मरणासन्न लोगों से जाकर मृत्यु संबंधित प्रश्न पूछते। अपनी नानी को फिर से एक बार प्राप्त करने की व्याकुलता ने धर्मग्रंथों की अभिरूचि की ओर उन्मुख किया और इस प्रकार बहुत कम उम्र में ही पुराण- उपनिषद आदि शास्त्र तथा कुरान बाइबिल पढ डाले। सत्य की इस खोज यात्रा में साधु संतों का सान्निध्य भी मिलता रहा।
विडंबना कहें या भगवान की इच्छा, हमेशा सांसारिक चकाचौंध और ग्लैमर से विरक्त स्वभाव रहने के बावजूद स्वामी जी पन्द्रह वर्षों तक बिपिन बहार के नाम से भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में एक सफलतम गीतकार और अभिनेता के रूप में संलग्न रहे। इनके लिखे गीतों को गाकर कई गायकों ने खूब नाम कमाया।
फिल्मी मायानगरी में सफलता के शीर्ष पर जाने के बाद पुनः वैराग्य बीज ने अंकुरित होकर सदा के लिए नाम शोहरत पैसे की मायावी दुनिया को अलविदा कह दिया और पांच वर्षों तक अज्ञात वास में रहकर गहन साधना और तपस्या किए। विदित हो कि बचपन से भगवान श्रीराम के चरित्र का स्वामी जी पर बहुत गहरा प्रभाव रहा। विशेषकर भगवान श्रीराम जी का पिता के वचनों के प्रति समर्पण और राजसुख त्याग कर सहर्ष कानन कंटक कष्ट को स्वीकार करना उन्हें खूब प्रभावित करता। कालांतर में गौतम बुद्ध, इस्लाम और जीसस क्राइस्ट से भी खूब प्रभावित हुए। इस्लामिक किताबों को पढने के लिए अरबी लिपि भी सीखने की कोशिश की लेकिन बहुत ज्यादा नहीं सीख पाए। तब इस्लामिक किताबों का हिन्दी अनुवाद यथा कुरान मजीद, मसनून दुआएं, तर्कीबे नमाज, अहले हदीस, कससुल अंबिया और मार्का ए कर्बला आदि लेकर पढने लगे और शौकिया दो तीन जालीदार टोपी भी खरीद ली। इसी तरह जीसस क्राइस्ट की शिक्षाओं और बलिदान ने तो इतना अधिक प्रभावित किया कि कुछ समय तक जीसस का प्रचार प्रसार भी करने लगे। परन्तु कुछ ही समय में चर्चों में व्याप्त खींचातानी, पादरियों की भौतिकवादी प्रवृत्ति व धार्मिक अहंकार, धन पद की लोलुपता, हिन्दु धर्म के विरूद्ध कट्टर शिक्षाएं, उपनिषद वेदांत आदि को जाने बिना संपूर्ण हिन्दु शास्त्रों का अस्वीकार तथा विदेशी धन द्वारा प्रायोजित ईसाईयत की साम्प्रदायिकता को देखकर स्वामी जी का मन पूरी तरह से खिन्न हो गया और उन्होंने हमेशा के लिए अपने आप को चर्च व ईसाईयत से दूर कर लिया। पुनः इक्कीस इक्कीस दिनों का दो वर्ष तक निर्जला उपवास व कठिन साधनाओं के पश्चात ईश्वरीय कृपा से चेतना परम दिव्य ज्योति में स्थापित हो गई। सच्चिदानंद प्रस्फुटित हुए।
कुंडलिनी ने सहस्रार की यात्रा पार कर स्वयं को धन्य महसूस किया। अष्टावक्र के साक्षीभाव ने धरातल पाया। इस प्रकार भक्ति और हठयोग का पुण्य प्रसाद प्राप्त हुआ और आदिब्रह्म शिव शक्ति ने भगवान श्री सत्यनारायण के रूप में प्रकट होकर दर्शन दिए तथा ‘स्वर्गानन्द’ नाम व ‘सदमार्गी विज्ञान सत् योग’ का रहस्य बोध आशीर्वाद स्वरूप प्रदान किया। तत्पश्चात पूरे विश्व कल्याणार्थ सेवा हेतु आदेश पाकर सन् 2015 में ‘सत् समाज सदमार्गी अखाड़ा’ की स्थापना हुई।
SAT SAMAJ SADMARGI AKHADA
जय जय हो!
मान्यवर,
हमें आपको अपने सामाजिक आध्यात्मिक अभियान “सत् समाज – सदमार्गी अखाड़ा” के विषय में बताते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है। इस पंजीकृत सेवार्थ संस्था की स्थापना सत्यसाधक संत श्री स्वर्गानन्द जी महाराज के द्वारा की गई, जो कि विभिन्न धर्मों के मर्मज्ञ व प्रकांड विद्वान हैं। वे भोजपुरी फिल्मों के प्रसिद्ध गीतकार व अभिनेता भी रहे। बाद में उन्होंने फिल्मी जीवन पूरी तरह से त्याग कर मानव जाति के कल्याण हेतु स्वयं को परमात्मा के हाथों में समर्पित कर दिया। पीड़ितों व विभिन्न रोगियों, दरिद्रों व असहायों के लिए उनके हृदय में गहरी दया है। “सत् समाज – सदमार्गी अखाड़ा” नवीन गुरू परंपरा के अधीन देश का तेजी से बढ़ता हुआ आध्यात्मिक अभियान है, जिसका उद्देश्य लोगों में आध्यात्मिक सनातनी चेतना का प्रसार व मानव-समाज-राष्ट्र का सर्वांगीण विकास करना है।
हमारे आश्रम की मुख्य रूप से सात योजनाएं हैं:
1. सत्यांबरी योजना – इसके तहत हम गरीबों व जरूरतमंदों में मुफ्त साड़ी, समीज सलवार, कमीज पैंट, शाल स्वेटर, चादर कंबल आदि वस्त्र वितरण करते हैं।
2. सत् काया कंचन योजना – इसके तहत हमारा उद्देश्य कैंसर पीड़ितों व विभिन्न प्रकार के रोगियों, जो वास्तव में समस्या में हैं, को एंबुलेंस, दवाईयां और इलाज में यथासंभव सुविधा उपलब्ध कराना है। वेद, आयुर्वेद, योग व विज्ञान के अनुसार स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता फैलाना।
3. सत् अन्नपूर्ति योजना – इसके तहत हमारा उद्देश्य हरेक भूखे व अति निर्धन को भोजन सामग्री व राशन मुफ्त उपलब्ध कराना है।
4. सत् सहाय योजना – यह योजना उनके लिए है जो अनाथ हैं, बुजुर्ग हैं, असहाय हैं और बेरोजगार हैं। उनकी सहायता व रोजगार के लिए समुचित व्यवस्था कर आत्मनिर्भर बनाना। जरूरतमंद व प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के लिए मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराना।
5. सत् कन्या योजना – किसी भी जाति धर्म के अति निर्धन परिवार की बेटी के विवाह में यथासंभव नकद सहायता इस योजना के तहत दी जाती है।
6. सत् संस्कृति योजना – इसके तहत लोगों को भारतीय सभ्यता संस्कृति प्रकृति धर्म कला व खेल से परिचित कराने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करना। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी प्रकार के लालच में होने वाले धर्मांतरण को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना और सबको एक सर्वसुलभ सहज सनातनी आध्यात्मिक मंच उपलब्ध कराना।
7. सत् संसार योजना – इसके तहत “स्वस्थ भारत-स्वच्छ भारत-नशामुक्त भारत-शिक्षित भारत” के प्रति एवं भारत को पुनः विश्वगुरू बनाने के उद्देश्य से भारत के हरेक राज्यों में “सत् सनातन सदमार्गी मंदिर” की स्थापना करना, ताकि सत् समाज का विस्तार हो।
दस साल में दस लाख वृक्षों ( पीपल, पाकुड़, बरगद, शीशम, नीम आदि) का बीजारोपण करने का लक्ष्य
हमारा नारा –
सदमार्ग पर चलें, सदमार्गी बनें
धर्म से धन, धन से धर्म
हमारा अभिवादन – जय जय हो
समस्त सृष्टि के कारण तत्व सदगुरूदेव सच्चिदानंद श्री सत्यनारायण भगवान जी हमारे आराध्य हैं।
सत् समाज सदमार्गी अखाड़ा में सभी धर्मों व जातियों के सत्यनिष्ठ, समर्पित व मुमूक्षू लोगों का समानरूप से स्वागत है।
Contact
श्री स्वर्गानन्द आश्रम, अंबेवाडी नरपड, दहाणु रोड, जिला – पालघर, महाराष्ट्र
Whatsapp: +91 9987247593
DONATE
विभिन्न मानव कल्याणार्थ योजनाओं के रूप में महान ईश्वरीय पुण्य सेवाकार्य के लिए लोगों से हम वस्त्र, अनाज, किताब कापी आदि का स्वैच्छिक व सहृदय दान स्वीकार करते हैं। परमात्मा के इस महान पुण्य कार्य में सभी खुले हृदय से सहयोग कर सकते हैं। इच्छुक व पुण्यभागी मित्रों द्वारा दिया गया दान हम नकद व चेक के रूप में भी हमारे रजिस्टर्ड ट्रस्ट के इस खाते में स्वीकार करते हैं, आप अपना दान किस योजना के लिए दे रहे हैं,
कृपया अवश्य उल्लेख करें :
Sat Samaj Sadmargi Akhada Trust
Bank Of India
A/c – 124910110009580
IFSC Code – BKID0001249.
आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार 12A और 80G के अंतर्गत कर में छूट की सुविधा उपलब्ध।